गीतांजलि श्री को बुकर, हिंदी को मिला सम्मान
"मुझसे कहा गया था कि यह लंदन है और मुझे यहां हर तरह से तैयार होकर आना चाहिए। यहां बारिश हो सकती है, बर्फ़ गिर सकती है, बादल भी घिर सकते हैं, धूप भी निकल सकती है। और शायद बुकर भी मिल सकता है। इसलिए मैं तैयार होकर आयी थी पर अब लगा रहा है जैसे मैं तैयार नहीं हूं। बस अभिभूत हूं।"
हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री जब बुकर पुरस्कार जीतने के बाद मंच से यह बात कह रही थीं तो पूरे हॉल की लाइट उनके और डेज़ी रॉकवेल के चेहरे पर थी।