अब ब्‍लैक फंगस का कहर भी

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

कोरोना अभी गया नहीं कि देश में अब ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर-माइकोसिस नाम की जानलेवा बीमारी ने संकट बढ़ा दिया है। ब्लैक फंगस स्वस्थ हो चुके कोरोना संक्रमितों की आंखों की रोशनी छीन रहा है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है। अब ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले गुजरात में सामने आए हैं। इसके अलावा ब्लैक फंगस ने  झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, यूपी, बिहार और हरियाणा में मुसीबत बढ़ा दी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक साइनस की परेशानी, नाक का बंद हो जाना, दांतों का अचानक टूटना, आधा चेहरा सुन्न पड़ जाना, नाक से काले रंग का पानी निकलना या खून बहना, आंखों में सूजन, धुंधलापन, सीने में दर्द उठना, सांस लेने में समस्या होना एवं बुखार होना म्यूकोर-माइकोसिस के लक्षण हैं। चिकित्सकों के अनुसार, यह सबसे ज्यादा उन कोविड-19 मरीजों में मिल रहा है जिन्हें मधुमेह है।

म्‍युकोर-माइसिस की बड़ी वजह है कोरोना के इलाज के दौरान धड़ल्‍ले से इस्‍तेमाल की जानेवाली स्‍टेरॉयड। यह कोरोना की तरह अचानक आया कोई नया फंगस नहीं है मगर कोरोना में जब लोगों की रोग निरोधक क्षमता घट गई है इसने अचानक उग्र रूप ले लिया है। 
डॉक्‍टर्स बता रहे हैं कि साल में दो-तीन मामले आते थे जबकि अभी चार दिनों में बीस अधिक मामले आये। उनके अनुसार ब्‍लैक फंगस हमेशा वातावरण में रहते हैं। जहां अंतिम संस्‍कार होता है, गन्‍ने की खेती होती है वहां ये प्रचुर मात्रा में रहते हैं। मगर शरीर में रोग निरोधक क्षमता बहुत कम होने पर ये हमला करते हैं। अनियंत्रित शुगर, कैंसर के मरीजों को यह निशाना बनाता है।

कोरोना में शरीर की रोग निरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है, ऐसे में धड़ल्‍ले से एस्‍टेरॉयड का इस्‍तेमाल हो रहा है। ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डाक्‍टर सिर्फ बुखार देखकर डेक्‍सा-मेथासोन दस-दस दिन चला रहे हैं। यह स्‍टेरॉयड है। स्‍टेरॉयड से शरीर की रोग निरोधक क्षमता कम होती है और अनियंत्रित शुगर हो जाता है। जो शुगर के मरीज नहीं होते हैं उनमें भी अनियंत्रित शुगर की शिकायत हो जाती है। इस तरह यह दोधारी तलवार की तरह काम करता है। तुरंत इलाज नहीं होने पर ब्‍लैक फंगस के मामले में पचास प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। 

चिकित्‍सकों के अनुसार ब्‍लैक फंगस का इलाज है। बशर्ते तुरंत शुरू किया जाये। एक्‍स रे और सीटी स्‍कैन से रोग की पहचान होती है। इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइड लाइन के अनुसार स्‍टेरॉयड की इस्‍तेमाल डॉक्‍टरों के परामर्श से ही लें। एंटी फंगल दवाएं अपने मन से न लें। इम्‍युनिटी बुस्‍टर दवाओं का ज्‍यादा दिनों तक इस्‍तेमाल न करें। शुगर के मरीज अपना शुगर नियंत्रित रखें।

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