झारखंड में मामला देशद्रोह का, बीस लोगों पर देशद्रोह मामले की समीक्षा करेंगे मुख्‍यमंत्री

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

मुख्यमंत्री ने शीघ्र यथोचित कार्यवाही का आश्वासन दिया. जल्द ही इस बारे में सूचित करने का भी. मुख्यमंत्री को एक संक्षिप्त ज्ञापन भी दिया गया था. उसके निम्न हिस्से को अंडरलाइन कर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को समीक्षा हेतु निर्देश देने की बात कही है। 

 

सोशल मीडिया पर लिखे पोस्ट के आधार पर बीस लोगों पर दायर देशद्रोह के मामले में पुलिस/सरकार की ताजा सक्रियता पर विचार करने के लिए गत 27 जून को 'संवाद' कार्यालय, रांची में एक बैठक हुई थी. बैठक में राकेश किड़ो, सुषमा बिरुली (पति आरोपित) फैसल अनुराग, श्रीनिवास, घनश्याम, हेमंत, अलोका, विनोद कुमार आदि 25 लोग शामिल थे. अन्य बातों के अलावा फैसला हुआ था कि साथियों की एक टीम मुख्यमंत्री से  मिल कर अपना पक्ष रखे. हेमंत, मधुकर, कुमार मार्डी और फैसल अनुराग का नाम तय हुआ था.

मुख्यमंत्री ने 30 जून को समय दिया था. कुमार मार्डी अनुपस्थित थे. फैसल नहीं पहुंच सके. हेमंत जी और मधुकर जी गये. उनके मुताबिक मुख्यमंत्री ने शीघ्र यथोचित कार्यवाही का आश्वासन दिया. जल्द ही इस बारे में सूचित करने का भी. मुख्यमंत्री को एक संक्षिप्त ज्ञापन भी दिया गया था. उसके निम्न हिस्से को अंडरलाइन कर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को समीक्षा हेतु निर्देश देने की बात कही है। 

मुख्‍यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन: 

प्रतिष्ठा में : रघुवर दास,
मुख्यमंत्री, झारखंड सरकार.

विषय : सोशल मीडिया में कुछ लिखने के आधार पर दायर देशद्रोह के मामले में पुनर्विचार हेतु.

महाशय,
आपको मालूम ही होगा कि गत वर्ष खूंटी पुलिस प्रशासन ने विनोद कुमार सहित बीस लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दायर किया है. उनमें से विनोद कुमार लोकनायक जेपी द्वारा गठित छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी से सम्बद्ध और पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं. झारखण्ड पर आधारित कई पुस्तकें लिख चुके हैं. इनके खिलाफ देशद्रोह का मामला सिर्फ इस आधार पर बनाया गया है कि इन्होंने फेसबुक पर पत्थलगड़ी के सन्दर्भ में कुछ लिखा था. अन्य लोगों के  खिलाफ भी मामला फेसबुक पर कोई पोस्ट लिखने या किसी के पोस्ट को लाइक/शेयर करने के आधार पर ही बनाया गया है. इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 121, 121-ए एवं 124-ए भी लगाया गया है. इस बारे में हम यह जानकारी देना चाहते हैं कि आईटी कानून की धारा 66ए और 66 एफ को सुप्रीम कोर्ट ने दो वर्ष पूर्व ही असंवैधानिक मान कर निरस्त कर दिया है! लेकिन खूंटी पुलिस ने इन्हीं धाराओं को आधार बना कर इनमें से अधिकतर को देशद्रोह का अभियुक्त बनाया है. 

अब अखबारों से जानकारी मिल रही है कि पुलिस इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली है. जाहिर है कि इनको गिरफ्तार करने की तैयारी हो रही है. पुलिस तो अपनी धारणा के अनुरूप ही कदम उठायेगी, मगर हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि इस पूरे मामले पर गंभीरता और सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करें.

निवेदन है कि अपने प्रशासन को एक बार फिर पूरे मामले की समीक्षा और जांच करने का निर्देश दें.

पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान जो लोग संविधान विरोधी और आपराधिक/ हिंसक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं, उनके खिलाफ पुलिस कानूनसम्मत कार्रवाई करे, यह तो उचित ही है. लेकिन आप भी मानेंगे कि इस क्रम में निर्दोष और उन गतिविधियों से अलग रहे लोगों को प्रताड़ित करना उचित नहीं है. और यह तथ्य है कि विनोद कुमार सहित इनमें से अनेक लोग इस दौरान कभी खूंटी भी नहीं गये. सरकार की नीतियों से असहमति जताना देशद्रोह का आधार तो नहीं ही हो सकता.

सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में आपकी भागीदारी को याद करते हुए, हम आपसे यही सुनिश्चित करने की मांग करते हैं कि जाने/अनजाने आपकी सरकार ऐसा कुछ नहीं कर जाए, जो आपको भी बाद में अनुचित लगे.भवदीय, हेमंत, फैसल अनुराग, मधुकर

रिपोर्ट - श्रीनिवास

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