अब कश्‍मीर में फिल्मकारों को फिल्म की शूटिंग की मंजूरी के लिए स्क्रिप्ट जमा करानी होगी

:: साभार: द वायर ::

मुंबईः जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के दो साल बाद पांच अगस्त 2021 की शाम को जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्रशासित प्रदेश के लिए नई फिल्म नीति का ऐलान किया था.

श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में फिल्मकार राजकुमार हिरानी और अभिनेता आमिर खान ने भी शिरकत की थी. हिरानी ने साल 2008 की सुपरहिट फिल्म ‘3 इडियट्स’ की शूटिंग जम्मू कश्मीर में की थी.

सिन्हा ने इस नई नीति के बारे में छह अगस्त को ट्वीट कर कहा था, ‘इस नई नीति से जम्मू कश्मीर मनोरंजन जगत के सबसे पसंदीदा स्थल में तब्दील हो जाएगा.’

इस बीच आमिर खान ने इस नीति के लिए आभार जताते हुए कहा, ‘मैं मनोज सिन्हा को बधाई देना चाहता हूं और मैं इस फिल्म नीति के लिए उनका आभारी भी हूं. यह फिल्म उद्योग जगत के लिए खुशी का पल है इससे हमें कई सुविधाएं मिलेंगी, जिससे यहां फिल्मों की शूटिंग करना आसान हो जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे यह लगता है कि यह कश्मीर के युवाओं के लिए इस इंडस्ट्री में आने और इसके बारे में सीखने के लिए बढ़िया अवसर रहेगा. जैसा कि अन्य राज्यों में हो रहा है, हम कश्मीरी फिल्में भी देखना चाहेंगे. हम जम्मू कश्मीर से एक फिल्म इंडस्ट्री को विकसित होते देखना चाहते हैं.’

हालांकि जम्मू कश्मीर के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के फिल्म अधिकारी आफाक रसूल गड्डा ने उपराज्यपाल सिन्हा की तुलना में अपनी मंशा और स्पष्ट तरीके से जाहिर कर दी.

उन्होंने कहा, ‘हमें यह देखना पड़ेगा कि इन दिनों कहीं कोई देशद्रोही काम तो नहीं कर रहा है. आप समझ गए न?’ फिल्मकारों ने पुष्टि की कि इससे पहले इस तरह का कोई रेगुलेशन नहीं था.

लगभग इसी समय उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपनी वेबसाइट ‘फिल्म बंधु, उत्तर प्रदेश’ पर इसी तरह की नीति का ऐलान किया था. वेबसाइट पर राज्य में फिल्मों की शूटिंग की मंजूरी और सब्सिडी की मांग करने वाले फिल्मकारों की सूची भी है.

फिल्म की शूटिंग की मंजूरी मांगने वालों के लिए 10 और सब्सिडी की चाह रखने वालों के लिए 12 बिंदु हैं, लेकिन दोनों ही स्थिति में ‘संवादों के साथ फिल्म के सार और पटकथा’ की मांग की गई है. पहले यह सिर्फ उन्हीं पर लागू होता था, जो फिल्मकार सब्सिडी की मांग करते थे.

जम्मू और कश्मीर फिल्म विकास परिषद की वेबसाइट पर कहा गया है कि यह नीति कई लोगों के लिए आजीविका के अवसरों का सृजन करेगी. इसके साथ ही मंजूरीकृत फिल्मकारों के लिए निशुल्क सुरक्षा व्यवस्था की भी सुविधा दी जाएगी.

जेकेएफडीसी की समिति का उद्देश्य फिल्म नीति के लक्ष्यों को हासिल करना है.

उपराज्यपाल सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं दुनियाभर के फिल्मकारों को जम्मू कश्मीर आने और कैमरे के लेन्स से यहां के सौंदर्य को कैप्चर करने के लिए आमंत्रित करता हूं.’

मुख्यधारा के कई मीडिया संगठनों ने इस खबर को प्रकाशित कर इसे फिल्म उद्योग जगत के लिए प्रगतिशील बदलाव बताकर इसकी सराहना की है.

जेकेएफडीसी की वेबसाइट पर दिशानिर्देशों की सूची एक अलग और अधिक खौफनाक कहानी बताती है.

इन दिशानिर्देशों में कहा गया है कि शूटिंग की मंजूरी लेने के लिए फिल्मकारों को फिल्म की स्क्रिप्ट का पूरा ब्यौरा और सार जमा कराना होगा.

वेबसाइट पर स्पष्ट किया गया है कि फिल्म की स्क्रिप्ट का मूल्यांकन जम्मू और कश्मीर फिल्म सेल द्वारा गठित समिति के एक विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा. कुछ मामलों में फिल्म के निर्देशक को भारत या विश्व में फिल्म को रिलीज करने से पहले फिल्म सेल के प्रतिनिधियों के समक्ष पूरी फिल्म को दिखाना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फिल्म को मूल्यांकित स्क्रिप्ट के अनुरूप ही शूट किया गया है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है.

जम्मू कश्मीर में शूटिंग अन्य भारतीय राज्यों की तुलना में हमेशा मुश्किल ही रही है लेकिन फिल्म निर्देशकों ने कभी अपनी स्क्रिप्ट मंजूरी के लिए पेश नहीं की थी. उदाहरण के लिए ‘यहां’ (2005) फिल्म की शूटिंग के लिए निर्देशक शूजित सरकार को सेना और स्थानीय प्रशासन से मंजूरी लेनी पड़ी थी.

फिल्म राज़ी (2018) का निर्देशन करने वाली निर्देशक मेघना गुलजार ने पुष्टि की कि राजी की स्क्रिप्ट को शूटिंग से पहले सिर्फ एडीजीपीआई सैन्य मुख्यालय ने मंजूरी दी थी. उस समय जम्मू कश्मीर के लिए इस तरह के प्रोटोकॉल नहीं थे.

मेघना के बयान से पता चलता है कि 2018 में जम्मू कश्मीर प्रशासन फिल्म निर्माण प्रक्रिया में शामिल नहीं था.

ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश में रहा. बनारस और लखनऊ में फिल्म ‘मुल्क’ को शूट करने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा ने कहा कि अपने अनुभव से कहूं तो फिल्म की शूटिंग के समय और पहले फिल्म की स्क्रिप्ट पेश नहीं करनी पड़ी थी. हालांकि सिर्फ सब्सिडी लेने के लिए आवेदन करने पर ऐसा करना पड़ता है.

सिन्हा ने कहा कि उन्होंने आखिरी बार साल 2019 में उत्तर प्रदेश में फिल्म की शूटिंग की थी और वह किसी तरह के नए दिशानिर्देश से वाकिफ नहीं थे.

सरकारी जमीन पर शूटिंग करने, संरक्षित स्मारकों में शूटिंग करने, सार्वजनिक स्थानों जैसी जगहों पर शूटिंग के लिए मंजूरी लेने का नियम दशकों से चल रहा है, लेकिन शूटिंग से पहले फिल्म की स्क्रिप्ट को जमा करने जैसा प्रावधान पहली बार सामने आया है.

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