विदेशी मीडिया से नाराज है भारत सरकार, जानिये क्‍यों

:: न्‍यूज मेल डेस्‍क ::

कोविड-19 को लेकर भारत सरकार के रवैये की पश्चिमी मीडिया में काफी आलोचना हो रही है। 'द ऑस्ट्रेलियन' की एक खबर पर भारतीय उच्चायोग ने तीखा जवाब दिया है। मुख्य संपादक को भेजे एक पत्र में अखबार की खबर को आधारहीन बताते हुए उच्चायोग ने प्रत्युत्तर छापने की मांग की है और साथ ही कहा है कि भविष्य में अखबार ऐसी खबरें ना छापे। भारत में कोविड-19 की दूसरी और कहीं घातक लहर के बारे में 'द ऑस्ट्रेलियन' अखबार ने 26 अप्रैल को एक खबर छापी थी जिसमें भारत सरकार के रवैये की तीखी आलोचना की गई थी।

‘मोदी के नेतृत्व में भारत में वायरल कयामत' (Modi leads India into viral apocalypse मोदी लीड्स इंडिया इनटू वायरल अपाकलिप्‍स ) के शीर्षक वाली इस खबर में अखबार ने लिखा था, "आलोचक कहते हैं कि अहंकार, अति-राष्ट्रवाद और अक्षम ब्यूरोक्रेसी के चलते भारत में महासंकट पैदा हो गया है। भीड़ को चाहने वाला प्रधानमंत्री आनंद कर रहा है, जबकि जनता का दम घुट रहा है।" इस खबर पर भारतीय उच्चायोग ने आलोचनात्कम पत्र लिखा है।

पत्र कहता है, "हम यह देखकर हैरान हैं कि आपके सम्माननीय प्रकाशन ने एक आधारहीन, दुर्भावनापूर्ण और निंदात्मक रिपोर्ट छापी है जिसके तथ्यों की जांच के लिए भारत सरकार के किसी अधिकारी से बात करने की जहमत भी नहीं उठाई गई है।" उच्चायोग ने अखबार की खबर को भारत की महामारी के खिलाफ लड़ाई को कम करके आंकने की मकसद से छापा गया बताया है।

'द ऑस्ट्रेलियन' ने अपनी खबर में लिखा था कि जब देश में संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे तब भारत के प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल में बड़ी-बड़ी रैलियां कर रहे थे और कुंभ भी जारी था जिस कारण संक्रमण के आंकड़ों में उछाल आया। उच्चायोग ने नाराजगी भरे अपने पत्र में लिखा है कि संक्रमण में उछाल के लिए भारत के प्रधानमंत्री या एक धार्मिक आयोजन पर इल्जाम लगाने में अखबार ने जल्दबाजी की है।

कोविड-19 की दूसरी लहर भारत के लिए घातक साबित हुई है क्योंकि देश की स्वास्थ्य व्यवस्थ्या बढ़ते मरीजों का बोझ नहीं संभाल पाई। इस कारण कई देशों के मीडिया में भारत सरकार के रवैये को लापरवाह बताया गया है।

अमेरिका में 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने खबर छापी कि कोविड भारत को तहस-नहस कर रहा है और सरकार मौतों के आंकड़ों की सही गिनती नहीं कर रही है। अखबार कहता है, "लापरवाही और गलत कदमों ने भारत में कोविड-19 के संकट को गहरा दिया है।"

'वॉशिंगटन पोस्ट' में छपे एक लेख में कहा गया है, "देश के गलतियों से भरे, लापरवाह और संवेदनहीन रवैये का नतीजा श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में भीड़ के रूप में सामाने आया है।"

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